• Farmrise logo

    बायर फार्मराइज ऐप इंस्टॉल करें

    कृषि विशेषज्ञ समाधानों के लिए!

    एप इंस्टॉल करें
  • हेलो बायर
    Article Image
    करेले उत्पादन की विभिन्न तकनीक
    Aug 11, 2025
    3 Min Read
    करेला भारत की एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है जो अपने औषधीय और पोषण गुणों के लिए जानी जाती है। यह मधुमेह के प्रबंधन, रक्त और लीवर में मोजुद हानिकारक विषैले पदार्थ के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है, भारत में करेले की खेती 107 हजार हेक्टेयर में की जाती है जिसे प्रति वर्ष 1.30 मिलियन टन उत्पादन मिलता है।
    Attachment 1
    • करेले की फसल के लिए 2-3 बार जुताई कर कल्टीवेटर का उपयोग करे और पाटा चलाकर भूमि को बेहतर बनाया जा सकता है। • खेत तैयार होने के बाद अनुशंसित दूरी (2-2.5 मीटर) पर 30-40 सेमी चौड़े खुले गड्ढे तैयार करें। • गड्ढे एक तरफ पानी निकासी की सुविधा करे और दूसरी तरफ मेड बनाए।
    Attachment 1
    Attachment 2
    करेले के पौधो की बेल कमजोर होती है, जिस कारण उसके विकास के लिए सहारे की आवश्यकता होती है। जिन पौधो को सहारा दिया गया हो ऐसे पौधे 6-7 महीने तक उपज देते रहते है, जबकि जिन पौधो को सहारा नहीं दिया गया हो जमीन बिछे हो 3-4 महीने तक ही उपज देते हैं। जिन बेलो को सहारा दिया गया हो वो कीटों और बीमारियों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं क्योंकि वे मिट्टी के सीधे संपर्क में नहीं आती हैं। मंडप प्रणाली में, रोपण 2.5 x 1 मीटर की दूरी पर किया जाता है। 2.5 मीटर पर गड्ढे खोदे जाते हैं, और 5-6 मीटर की दूरी पर सिंचाई प्रणाली स्थापित की जाती हैं। बुवाई की गई पंक्ति के दोनों सिरों पर 5 मीटर की दूरी पर गड्ढे बना कर लकड़ी के खंभे (ऊंचाई में 3 मीटर) लगाए जाते हैं, और उन्हें तारो द्वारा जोड़ा जाता है, फिर ४५ सेमी की दुरी रख कर इन इन तारो को आपस में बांध कर मंडप तैयार किया जाता है, और बीजों को नाली के किनारे 1 मीटर की दूरी पर बोया जाता है और हल्के से मिट्टी से ढक दिया जाता है। बेलों को मंडप की ऊंचाई तक पहुंचने में लगभग 1.5 -2 महीने का समय लगता हैं, इसलिए विकास के शुरवाती समय में बेलों को मंडप तक पहुंचाने के लिए रस्सियों से बांधा जाता है। एक बार जब बेल मंडप की ऊँचाई तक पहुँच जाती हैं, तो नई शाखाओ को मंडप पर फँसा दिया जाता है।
    Attachment 1
    Attachment 2
    • ग्रीष्म ऋतु-फरवरी-मार्च • खरीफ ऋतु-जून-जुलाई • बीज की दर 2-3 किग्रा/एकड़ है। • बीज का रोपण मेड़ या क्यारी के किनारे नाली के सामने किया जाता है
    Attachment 1
    Attachment 2
    • इस अवस्था में खेत को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए एक बार हाथ से निराई-गुड़ाई की जाती है।
    Attachment 1
    Attachment 2
    1. बीज अंकुरण की अवस्था में ही लाल कद्दू भृंग और लीफ माइनर जैसे कीटों की निगरानी करें, और यदि इनकी उपस्थिति दिखाई दे, तो अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करें। 2. लाल कद्दू भृंग के नियंत्रण के लिए सायंट्रानिलिप्रो का उपयोग करें, जिसकी मात्रा 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। उपयोग करने से पहले, कृपया विभिन्न फसलों में उचित उपयोग के लिए उत्पाद लेबल की जांच करें।
    Attachment 1
    Attachment 2
    Attachment 3
    1. सब्जियों में सफेद मक्खी, माहू औरजैसिड्स जैसे रस चूषक कीटों की उपस्थिति की निगरानी करें और अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करें। 2. इन रस चूषक कीटों के नियंत्रण के लिए सोलोमन का उपयोग करें — 200 मिलीलीटर सोलोमन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। उपयोग करने से पहले, कृपया विभिन्न फसलों में उचित उपयोग के लिए उत्पाद लेबल की जांच करें।
    Attachment 1
    Attachment 2
    Attachment 3
    1. माइट्स, सफेद मक्खी और कुकुर्बिट फल मक्खी जैसे कीटों की उपस्थिति के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और आवश्यकता अनुसार अनुशंसित कीटनाशकों या ट्रैप्स/जाल का उपयोग करें। 2. घुन और सफेद मक्खी के लिए ओबेरोन का छिड़काव करें। कुकुर्बिट फ्लाई (कद्दू फल मक्खी) के लिए अलांटो का छिड़काव करें। 3. कुकुर्बिट फ्लाई (कद्दू फल मक्खी) को नियंत्रित करने के लिए चारा तैयार करें और क्यूलुर ट्रैप/जाल का उपयोग करें। उपयोग करने से पहले, कृपया विभिन्न फसलों में उचित उपयोग के लिए उत्पाद लेबल की जांच करें।
    Attachment 1
    Attachment 2
    Attachment 3
    Attachment 4
    1. अल्टरनेरिया पत्ती धब्बेदार रोग, तुलसिता रोग और पाउडरी फफूंद/मृदुरोमिल रोग/चुणीॅ फफूंदी रोगों के प्रकोप की निगरानी करें और अनुशंसित कवकनाशी/फफूंदनाशी का छिड़काव करें। 2. सब्जियों में तुलसिता रोग के बेहतर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी का उपयोग करके 600 मिली/एकड़ की दर से इनफिनिटो का छिड़काव करें। 3. सब्जियों में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के लिए, प्रारंभिक अवस्था में नेटिवो का उपयोग करें — 120 ग्राम प्रति एकड़ की दर से। इसके बाद, फल आने की अवस्था में लूना एक्सपीरियंस का छिड़काव करें — 200 मिलीलीटर प्रति एकड़, जिसे 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। 4. सब्जियों में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बेदार रोग के बेहतर नियंत्रण के लिए ब्यूनोस का छिड़काव करें। 5. करेला पीला मोजेक वायरस रोग (बीजीवाईएमवी), सफेद मक्खियों द्वारा फैलता है। सब्जियों में सफेद मक्खियों और माहू जैसे रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए 200 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में सोलोमन का छिड़काव करें। उपयोग करने से पहले, कृपया विभिन्न फसलों में उचित उपयोग के लिए उत्पाद लेबल की जांच करें।
    Attachment 1
    Attachment 2
    Attachment 3
    • यदि कोई कमी का लक्षण दिखाई देता है तो उस विशेष पोषक तत्व का पत्तियों पर छिड़काव किया जा सकता है। • करेले में बोरोन की कमी के लक्षण • करेले में सल्फर की कमी के लक्षण • करेले में आयरन की कमी के लक्षण • करेले में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण • करेले में मैंगनीज की कमी के लक्षण • करेले में जिंक की कमी के लक्षण
    Attachment 1
    Attachment 2
    Attachment 3
    Attachment 4
    Attachment 5
    • किस्म और मौसम के आधार पर पहली तुड़ाई 55-60 दिन के बाद शुरू होती है। • करेले की तुड़ाई 2-3 दिन के अंतराल पर की जाती है. • फलों को उनके आकार और रंग के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। • छोटी गर्दन वाले लंबे हरे फल आमतौर पर बाजार में पसंद किए जाते हैं। • कटी हुई उपज को रखने के लिए प्लास्टिक के टोकरे, बांस की टोकरियाँ या प्लास्टिक शीट से ढके लकड़ी के बक्सों का उपयोग किया जाता है। • परिवहन से पहले, उपज को छायादार या ठंडे स्थान पर रखे।
    Attachment 1
    Attachment 2
    इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद, हमें उम्मीद है कि आप लेख को पसंद करने के लिए ♡ के आइकन पर क्लिक करेंगे और लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी साझा करेंगे!
    इसे अन्य किसानों के साथ साझा करके उनकी मदद करें।
    Whatsapp Iconव्हाट्सऐपFacebook Iconफेसबुक
    सहायता चाहिए?
    अपने सभी प्रश्नों के लिए हमारे हेलो बायर समर्थन से संपर्क करें
    Bayer Logo
    निः शुल्क सहायता केंद्र
    1800-120-4049
    मुख पृष्ठमंडी